Tuesday, February 2, 2010

ऐसी आवाज़ दे दो









अगर मैं दिल हूँ तुम्हारा,
तो मुझे ये दिल दे दो.
मैं माफ़ी नहीं चाहती,
बस हाथों में हाथ दे दो.
ज़िन्दगी भर न भूलूँ जो मैं,
वो अहसास दे दो.
बख्श दो मुझको - यूँ पल,
तुम तड़पाओ ना,
सोने से पहले
अपना एक ख्वाब दे दो.
आती-जाती सांसों में
एक शब्द सा सुनती हूँ,
इन धुंधले शब्दों को सुन सकूं मैं,
ऐसी इन्हें आवाज़ दे दो.
अगर कुछ न दे सको तो
फिर इतना करना,
जो कल मिलनी है
वो मौत आज दे दो.
________________चेतना

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

bahut baDhiyaa!!

अजय कुमार said...

सुंदर एहसासों से परिपूर्ण रचना ,बधाई

skj said...

bahut hi sundar