Sunday, July 20, 2008

बेटे जैसा बनाने के लिए








वह जुटती रहती है
दिनभर
बुनती है भविष्य
समेटती है वर्तमान
अपनी दोनों बेटियों को
बेटे जैसा बनाने के लिए.

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया! सुन्दर भाव हैं।

Udan Tashtari said...

वाह!!!