Monday, June 23, 2008

पिता की रिटायरमेंट पर












ठहर जाने के लिए आपकी ज़िन्दगी में,
मैं, पड़ाव आ ही गया.
गुज़रा वक्त नहीं जो आ न सकूँ पर
मैं, बदलाव आ ही गया.
गवाह हूँ मैं आपकी मेहनत का
संघर्ष का, पर भरे कंधों में
मैं, झुकाव आ ही गया.
अभी नहीं हुए हैं आप ज़िम्मेदारियों से निवृत पर
देखा न,
मैं, सुझाव आ ही गया.
हम सभी देंगे आपका साथ हर पग पर
अब इस डाली में, कुछ मुड़ाव आ ही गया.

____________________ गंगा

3 comments:

Anonymous said...

bhut hi sundar abhivyakti.or bhav purn bhi.likhte rhe.

डॉ .अनुराग said...

bahut badhiya.....seedhi dil me utar gayi...

Udan Tashtari said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति.